कैसे बन सकता है एक आम नागरिक भारत का राष्ट्रपति ये रही जानकारी

[
]

 भारत का राष्ट्रपति कैसे बनें: पूरी जानकारी

HOW TO BCAME PRESIDENT OF INDIA


भारत के राष्ट्रपति का पद देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है। राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने वाला व्यक्ति भारतीय लोकतंत्र और संविधान का प्रतीक होता है। राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य का प्रमुख होता है और उसे ‘संविधान का संरक्षक’ माना जाता है। हालांकि, राष्ट्रपति का कार्य मुख्य रूप से संवैधानिक होता है, लेकिन इसका महत्व और प्रभाव भारतीय राजनीति में अत्यधिक है। राष्ट्रपति का चुनाव एक जटिल और विधिक प्रक्रिया के द्वारा होता है, जिसमें कई महत्वपूर्ण क़दम शामिल होते हैं।


तो, अगर आप जानना चाहते हैं कि भारत का राष्ट्रपति कैसे बन सकते हैं, तो इस लेख में हम इसे विस्तार से समझेंगे। राष्ट्रपति बनने के लिए किन शर्तों को पूरा करना होता है, क्या प्रक्रिया होती है, और इस उच्च पद पर पहुंचने के लिए क्या योग्यताएँ आवश्यक होती हैं, यह सब इस लेख में जानेंगे।


भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक शर्तें (Eligibility Criteria)

भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए निम्नलिखित शर्तों का पालन करना अनिवार्य है:


नागरिकता:


राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए। यह शर्त अनिवार्य है। कोई भी विदेशी नागरिक राष्ट्रपति पद के लिए पात्र नहीं हो सकता।

आयु सीमा:


उम्मीदवार की आयु 35 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। यह आयु सीमा भारतीय संविधान में निर्धारित की गई है, और उम्मीदवार की आयु चुनाव के समय 35 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।

किसी पद के लिए चुनाव के योग्य:


उम्मीदवार को भारतीय संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्य के रूप में चुनाव लड़ने के लिए योग्य होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि उम्मीदवार को यह साबित करना होगा कि वह भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में भाग लेने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम और सक्षम है।

अयोग्यता:


यदि किसी उम्मीदवार के खिलाफ कोई गंभीर अपराध का मामला चल रहा हो, या वह मानसिक रूप से असमर्थ हो, तो वह राष्ट्रपति चुनाव के लिए अयोग्य माना जाएगा।

इसके अलावा, कोई व्यक्ति यदि पहले राष्ट्रपति पद से असमय पदत्याग कर चुका हो या अन्य संवैधानिक कारणों से अयोग्य हो, तो वह भी फिर से राष्ट्रपति बनने के योग्य नहीं होगा।

राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया (Election Process)

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है, और यह एक जटिल और व्यवस्थित प्रक्रिया के तहत होता है। राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया में मुख्य रूप से संसद और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका होती है। इस चुनाव की प्रक्रिया को "मतदाताओं का कॉलेज" (Electoral College) कहा जाता है।


1. राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा:

राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारों की घोषणा चुनाव आयोग के पास की जाती है। किसी भी व्यक्ति को राष्ट्रपति चुनाव में नामांकित करने के लिए किसी निश्चित संख्या में सांसदों और विधान सभा सदस्यों का समर्थन प्राप्त करना होता है। सामान्यत: यह समर्थन कम से कम 50 सांसदों और 50 विधान सभा के सदस्य होना चाहिए।


2. नामांकन और मतदान:

राष्ट्रपति के चुनाव के लिए आम तौर पर सभी राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवार का चयन करते हैं। मतदाता संसद के सदस्य (सांसद) और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं। मतदान में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों की एक निश्चित संख्या होती है, जो राज्य की जनसंख्या और चुनावी प्रतिनिधित्व के हिसाब से निर्धारित होती है।


सांसदों का मतदान: भारतीय संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान करते हैं। लोकसभा और राज्यसभा के कुल सदस्यों की संख्या के आधार पर प्रत्येक सदस्य का एक मत मूल्य (value) तय होता है।


राज्य विधानसभाओं का मतदान: प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करते हैं। राज्य विधानसभाओं में मतों का वितरण राज्य की जनसंख्या के आधार पर होता है।


3. राष्ट्रपति चुनाव में वोटों का मूल्य (Value of Votes):

राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्येक वोट का एक मूल्य होता है, जो राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है। भारत के प्रत्येक राज्य के चुनावी प्रतिनिधि का वोट विभिन्न राज्यों में भिन्न होता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों के वोटों का मूल्य ज्यादा होता है, जबकि छोटे राज्यों के वोटों का मूल्य कम होता है।


4. मतदान प्रणाली:

राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली की जगह संविधान द्वारा निर्धारित चुनाव प्रणाली का पालन किया जाता है, जिसमें "सार्वभौमिक अनुपातीय मतदान प्रणाली" (Single transferable vote system) का पालन किया जाता है। इस प्रणाली में उम्मीदवारों के बीच मतों का वितरण इस प्रकार किया जाता है कि अधिकतम समर्थन प्राप्त करने वाला उम्मीदवार विजयी होता है।


यदि किसी भी उम्मीदवार को अनुशासनपूर्ण बहुमत (absolute majority) प्राप्त हो जाता है, तो वह चुनाव जीत जाता है।

यदि कोई उम्मीदवार इस बहुमत को प्राप्त नहीं कर पाता है, तो फिर अगले दौर में मतों की गणना और पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू होती है, जहां मतदाताओं को अपनी प्राथमिकता के अनुसार दूसरे और तीसरे विकल्प का चयन करने का अवसर मिलता है।

5. विजेता का चयन:

राष्ट्रपति पद का चुनाव जाँच और पुनःगणना के बाद चुनाव आयोग द्वारा घोषित किया जाता है। यदि एक उम्मीदवार को पर्याप्त संख्या में वोट मिल जाते हैं और वह बहुमत प्राप्त करता है, तो वह राष्ट्रपति पद के लिए विजेता घोषित कर दिया जाता है।


राष्ट्रपति के लिए योग्यताएँ और कार्य (Qualifications and Functions)

राष्ट्रपति बनने के लिए किसी उम्मीदवार को क्या योग्यताएँ होनी चाहिए, और वह राष्ट्रपति बनने के बाद कौन-कौन सी जिम्मेदारियाँ निभाता है, यह समझना महत्वपूर्ण है।


1. राष्ट्रपति के कार्य और अधिकार:

राष्ट्रपति के कार्य मुख्य रूप से शाही अधिकारों के रूप में होते हैं, जिनका प्रयोग भारतीय सरकार की कार्यप्रणाली को सुचारू बनाए रखने के लिए किया जाता है। राष्ट्रपति के अधिकारों में शामिल हैं:


कानून पारित करने का अधिकार: राष्ट्रपति संसद से पारित विधेयकों को अपनी मंजूरी प्रदान करते हैं, जिन्हें कानून का रूप लिया जाता है।

न्यायिक नियुक्तियाँ: राष्ट्रपति उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों की नियुक्ति करता है।

सैन्य प्रमुख: राष्ट्रपति भारतीय सैन्य बलों के सर्वोच्च कमांडर होते हैं।

अर्थव्यवस्था और नीति निर्धारण: राष्ट्रपति भारत की नीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्र सरकार का गठन: राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करते हैं।

2. राष्ट्रपति का कार्यकाल और कार्यशैली:

भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है। इसके बाद वह फिर से चुनाव में खड़े हो सकते हैं। राष्ट्रपति का कार्य बहुत ही विवेकपूर्ण और संवैधानिक होता है, क्योंकि उनका काम शासन की प्रक्रिया को दिशा देना है, न कि राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना।


निष्कर्ष:

भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार को कई शर्तों को पूरा करना होता है। यह एक बेहद कठिन और प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया है, जिसमें न केवल राजनीतिक और शैक्षिक योग्यताएँ, बल्कि एक उम्मीदवार का नेतृत्व कौशल और संवैधानिक समझ भी महत्वपूर्ण होती है। राष्ट्रपति पद पर पहुँचने के लिए व्यक्ति को बहुत लंबी और कठिन यात्रा करनी पड़ती है, लेकिन यदि आपके पास कड़ी मेहनत, राजनीतिक समझ और समर्पण है, तो यह संभव हो सकता है।


भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए उपयुक्त योग्यताएँ, चुनाव प्रक्रिया, और कार्यों को समझकर, कोई भी व्यक्ति इस उच्चतम पद को प्राप्त करने के लिए अपनी रणनीति बना सकता है।

Post a Comment

0 Comments

Khabar Munch